लत्ता दीदी
लत्ता दीदी
रात मेरे सपने में आए कृष्ण मुरारी
पाँव पकड़ कर मैंने उनसे पूछा अरे ओ गिरधारी
तुमने कहा था तुम आओगे ओ कृष्ण मुरारी
इस युग में न आए तुम क्या भूले वचन पुराने ?
बोले वचन न भुला न भुला पीड़ पराई
मैंने तो बस अपने बदले अपनी बंसी है भिजवाई
वो बंसी जो सात सूरों की मीठी धून सुनाए
प्यार का रस बरसाए दिल का दर्द भी मिटाए
मैंने पूछा अय भगवन उस बंसी का कुछ पता है ?
तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है।
