लॉकडाउन (एक भरोसा)
लॉकडाउन (एक भरोसा)
खुद के लिए तो रोज जी लिया यारों ,
आज देश के लिए जीने की बारी आई है
बहुत कर ली बेईमानी यारों,
आज मानवता की बारी आई है
बहुत जोड़ लिया खुद के लिए यारों,
आज देश को देने की बारी आई है
खुद के लिए तो रोज जी लिया यारों,
आज देश के लिए जीने की बारी आई है
बहुत तोड़ लिए कानून यारों,
आज लॉकडाउन निभाने की
बारी आई है
कोई रोक ना सका यारों,
कोरोना को हराने की बारी आई है
खुद के लिए बहुत सोच लिया यारों,
आज देश के लिए सोचने की बारी आई है
खुद के लिए तो रोज जी लिया यारों,
आज देश के लिए जीने की बारी आई है
