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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

लोकप्रियता

लोकप्रियता

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लोकप्रियता सेवा का भाव है,

सेवा लोकतंत्रीय नूर कहलाता है।

अगर दिल में रहे सेवा का भाव,

तो वह सेवक हजूर बन जाता है।


समाज में आम आदमी का विकास होता है,

सेवक वही जो आमआदमी के साथ होता है।


टुकुर मुकर देखते तबलमंज भर सांस,

बढ़ती लोकप्रियता से होते हत-आश।


कुछ दल्ले साथ ले पहुंचते नेता छाप।

लोकप्रियता के आगे रखते ईर्ष्याभाव।


ईर्ष्यालुओं की बात क्या दिन में करते रात,

लोकप्रियता आगे बड़ करती है आत्मसात् ।


रास्ता अपना बनाते नेता तबलमंज दलाल,

ईर्ष्या उंगली उठाती धुंआं में उड़ती राख।


हवा चलती टहनी हिलती पत्ते हिलते तमाम,

लोकप्रियता पर उंगली उठाते नेता और दलाल।


वोट हमारा और हमीं पर वार,

करते जातिय तबलमंज धर्मी,

मंचों पर उजाला करते खास,

जमीं पर अंधेरा फैलाते नाश।


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