लोकगीत
लोकगीत
सावण में सूखे रह गए, गिरधर बिन भाग म्हारे।
श्याम घट घन गहर-सी आवै।
देख लहर पे लहर-सी आवै।
हम कृष्ण बिन कहर-सी आवै।
आगे फेर सलोनो आती।
हमों श्याम बिन वृथा लगाती।
गंगादास लेस न पाती।
हम मोह सिंधु में बह गए।
कहो धोवैं दाग हमारे।।
(संत गंगादास)