लोक कल्याण

लोक कल्याण

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बेशक करो दान, लेकिन मत करो बखान

देखी है यह दुनिया हमने पूरी जनाब,

करते है दिखावा लोग पहन रोज नकाब,

कभी सोशल मीडिया पर तो कभी वक्र से,


थकते नहीं इस कालक्रम के चक्र से,

रोज फेंकते हैं बड़ी बड़ी कहानियां,

रचता है हर कोई ढोंग की जुबानियां,

दान तो यूं कर्ण ने भी किया था,


बखान उसका जहां ने किया था,

अगर वह करता खुद का बखान,

नहीं होता आज जग में उसका नाम,

तू तो कलयुग का कलंक है रे बंदे,


किसको दिखा रहा है दान के धंधे,

देखा है इस जहां ने तुमको,

किया दान तो मिलेगा तम को,

अब तो जरा समझ जा रे बंदे,


छोड़ दे ये सब बुरे तेरे धंधे,

कभी दो कभी तीन हजार का,

करता है जिक्र सदा तू खुद का,

मिलेगा अंत में ठेंगा बुजुर्गों से,


दान किया है लेकिन कुकर्मों से,

इतना ही शौक है दिखावा करने का,

उपदेश दे तू दिखावी दुनिया का,

जहां करेगा गुणगान तेरे यश का,


मिला नहीं कुछ इस दिखावे की दुनिया से,

भरा पड़ा है पूरा सोशल मीडिया इन सबसे,

समय है सुन लो तुम खेम सिंह का गान,

बेशक करो दान लेकिन मत करो बखान।


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