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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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लो आ गया फिर जून का महीना

लो आ गया फिर जून का महीना

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लो आ गया फिर जून का महीना

चिपचिपी गर्मी और बहता पसीना 

स्त्रियों को खास परेशान वो करता

मेकअप का दुश्मन जून का महीना


पर रसीले आमों का तो क्या कहना

जून का महीना है आमों का आना

लीची, जामुन, तरबूज़ और खरबूजा

किसे ना भाए इनका लुफ़्त उठाना


गर्म हवाओं से मन विचलित होना

परेशान ज़रूर करे जून का महीना

पर आइसक्रीम,जूस से मिले ठंडक

और लू से बचाए खट्टे आम का पन्ना


धूप सताए तो लगा लो काला चश्मा

सर पे रंग बिरंगी छतरी का आसमां

नारियल पानी का लुफ़्त उठाते हुए

देखो तुम जून के महीने का करिश्मा


आसमान में काले बादलों का छाना

देख यह नज़ारा मन को राहत होना

कभी बरस जाए कभी बिखर जाए 

गर्मी से राहत भी दे जून का महीना


बारिश का इंतजार है जून का महीना

रसीले आम का प्यार जून का महीना

कभी कड़कड़ाती धूप, कभी बादल

कृषकों की मुस्कान जून का महीना।



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