Sandeep Suman Chourasia
Inspirational
एक बार नहीं,
सौ बार सही,
गिनती मत कर,
अपनी हार महि
उठ फिर एकबार,
कमान संभाल तू,
संयम का आ,
बाण चढ़ा तू,
होनी की चिंता छोड़,
मेहनत का शान बढ़ा तू,
जीत तुझे मिल जाएगा,
गिरा जितनी दफा तू राहों में,
सफलता तू उतनी ही बड़ी पाएगा।
मेरे शिक्षक,म...
दुनिया अब कित...
धुर्त आँखें
आखिर क्यों जा...
बधाई हो 'जुका...
कुछ ऐसे
गिरते पत्तों ...
अँधेरी राहे
दुनिया की परव...
इस 'विजय श्री 'के लिए कितनों ने लड़ी मिलकर हमारे साथ लड़ाई है इस 'विजय श्री 'के लिए कितनों ने लड़ी मिलकर हमारे साथ लड़ाई है
है धरती का अस्तित्व जितना पुराना पुराना उतना ही हमारा इतिहास है. है धरती का अस्तित्व जितना पुराना पुराना उतना ही हमारा इतिहास है.
यह सकल जगत एक रंगभूमि है जहां अभिनय करते हमें जाना। यह सकल जगत एक रंगभूमि है जहां अभिनय करते हमें जाना।
तुम बिन जीवन की भी कल्पना क्या होगी, तुम ही धैर्य तुम ही साहस तुम ही मेरा चैन है।। तुम बिन जीवन की भी कल्पना क्या होगी, तुम ही धैर्य तुम ही साहस तुम ही मेरा चैन...
ख्वाइशों का क्या उठती हैं उठ जाने दो, राजा बनकर राज करें तो कर जाने दो। ख्वाइशों का क्या उठती हैं उठ जाने दो, राजा बनकर राज करें तो कर जाने दो।
दादी नानियों का बतकही मंडल , इक होता खाँसती-खुरखुराती कहानी का जंगल ...इक होता दादी नानियों का बतकही मंडल , इक होता खाँसती-खुरखुराती कहानी का जंगल ...इक होत...
जिनकी पूर्वजों के प्रति होती है श्रद्धा अगाध वही लोग इस झूठी दुनिया में मनाते है, जिनकी पूर्वजों के प्रति होती है श्रद्धा अगाध वही लोग इस झूठी दुनिया में मनाते ह...
प्रथम नमन प्रथम गुरु मेरी माँ को जिनकी परछाई जिनकी कोख में पली। प्रथम नमन प्रथम गुरु मेरी माँ को जिनकी परछाई जिनकी कोख में पली।
जीवन की तेरी ढल रही यह शाम है कुछ तो कर तू यहां जमाने में काम है. जीवन की तेरी ढल रही यह शाम है कुछ तो कर तू यहां जमाने में काम है.
तुम शिक्षक हर विपरीत हाल में मुस्कुराते हुए अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर। तुम शिक्षक हर विपरीत हाल में मुस्कुराते हुए अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर।
एक निराशावादी दृष्टिकोण है ये कि"इस दुनिया में रखा क्या है. एक निराशावादी दृष्टिकोण है ये कि"इस दुनिया में रखा क्या है.
जैसा होता है,एक दीपक वैसा होता है,एक शिक्षक। जैसा होता है,एक दीपक वैसा होता है,एक शिक्षक।
उन सपनों को बुनकर हकीकत में खुद को तू पहचान जरा उन सपनों को बुनकर हकीकत में खुद को तू पहचान जरा
हे मातृ भाषा से प्रेम जिसे, उसने निज स्वरूप को जान लिया। हे मातृ भाषा से प्रेम जिसे, उसने निज स्वरूप को जान लिया।
सिर्फ कोसते हुए काहिल है, खुद को बताते तो ज्ञानी है सिर्फ कोसते हुए काहिल है, खुद को बताते तो ज्ञानी है
छोड़कर मैं अपने माँ बाप का घर संवारने आ गयी मैं आप का घर. छोड़कर मैं अपने माँ बाप का घर संवारने आ गयी मैं आप का घर.
दो पल ठहर जा, मिल जा तू खुद में, ज़िंदगी मिली है बह जा तू रेत बन समंदर में इसके। दो पल ठहर जा, मिल जा तू खुद में, ज़िंदगी मिली है बह जा तू रेत बन समंदर में इस...
तू युगों युगों से संस्कृति द्योतक बनकर, देख होता ह्रास स्वतः छाती तेरी तन जाती है।। तू युगों युगों से संस्कृति द्योतक बनकर, देख होता ह्रास स्वतः छाती तेरी तन जात...
अपने जीवन का अक्षर बन खुद मुझको वाक्य बनाने दो अपने जीवन का अक्षर बन खुद मुझको वाक्य बनाने दो
हिंदी से आरंभ हुआ, और अब हिंदी ही धूमिल है हिंदी से आरंभ हुआ, और अब हिंदी ही धूमिल है