लक्ष्य भेद
लक्ष्य भेद
लक्ष्य भेदने चला अगर ,
ध्यान लक्ष्य पर धारण कर
वर्ना तरकश खाली होगा
इधर उधर के वारों पर।
तन मन धन से जिसने ,
किया लक्ष्य का पीछा है।
है इतिहास गवाह उसी ने,
पाया लक्ष्य वो जीता है।
क्योंकि कार्य सिद्ध होते है ,
केवल उद्यम करने से ।
नहीं प्रवेश करते हैं प्राणी ,
सुप्त सिंह के मुख खुद से।
अर्जुन की कथा तो शायद ,
याद तुझे होगी ही।
कि किस तरह लक्ष्य भेदन को
बस चिड़िया की आँख तकी।
उसी तरह अर्जुन तू बन जा
भूल जमाने के जलवे
तन मन सब अर्पण कर दे
और लक्ष्य भी पूरा कर ले
लक्ष्य भेद पूरा कर ले।
