"लिव इन रेलशनशिप"
"लिव इन रेलशनशिप"
हमारे महान भारत देश में
जहाँ शादी को एक पवित्र
बंधन माना जाता है
जहाँ सिर्फ शादी न होकर
इसमें दो आत्माओं का
मिलन होता है
दो परिवारों का
मिलन होता है
जिसमें सब एक रिश्ते से
जुड़े होते है
ऐसे देश में आजकल
लिव इन रिलेशनशिप
चल रहा है
बिन फेरे हम तेरे
का फॉर्मूला
जिसमें लड़का-लड़की
साथ रहते है बिना शादी के
ये प्रायः बाहर देश
की रीत है
बदलते वक्त के साथ
तौर-तरीके भी बदलते
जा रहे है
शहरों में इस रिवाज़
का काफी चलन है
एक हद तक तो ठीक है ये सब
मगर इसके सकरात्मक पहलू
से ज्यादा नकरात्मक पहलू है
सकरात्मक पहलू ये कि
अगर लड़का-लड़की एक
दूसरे को समझते है
तो अच्छी बात है
और शादी करने का ख्याल है
तो उससे पहले आपस में
समझदारी हो जाती है
एक-दूसरे की पसंद-नपसंद
समझ जाते है
और नकरात्मक पहलू ये है कि
अगर दोनों शादी ही नहीं करना चाहते
तो साथ में रहना समय बर्बाद करना है
जब कभी राह एक हो ही नहीं सकती
तो उस गली में जाने से क्या फायदा
जब आपस में शादी हो जाती है तो
शादी के बाद असली चेहरा
दिखने लग जाता है
मनमुटाव शुरू हो जाते है
छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा
शुरू हो जाता है
जो पहले एक-दूसरे की शक्ल
देख कर उठा करते थे
अब वो एक-दूसरे की शक्ल
भी नहीं देखना चाहते
रही-सही कसर आस-पड़ोस
वाले पूरी कर देते है
अगर लड़का-लड़की के
माँ-बाप को कोई पसंद नहीं होता
शादी के समय तो कुछ नहीं कहते
पर बाद में कहेंगे कि
हमें तो पहले से ही पता था
ऐसा ही होने वाला है
वो तो तुम्हारी खुशी के लिए
हमने कुछ बोला नहीं
अब भुगतो
लड़कियों के लिए तो
और भी बुरा हो जाता है
समाज वाले तरह-तरह की
बातें बनाने लग जाते है
उन्हें तो वैसे भी कोई
वजह चाहिए होती है
नमक-मिर्च लगाने के लिए
जहाँ तक मैंने अपने
रीति-रिवाज़ों को समझा है
हर किसी चीज का कोई न कोई
मतलब ज़रूर होता है
हर रीति-रिवाज़ को
किसी खास वजह से बनाया गया है
और शादी तो वैसे भी
एक पवित्र बंधन है
दो विपरीत प्रवृत्ति के लोग
आपस में बंधेगे तो
समझने में समय लगेगा
उन्हें एक दूसरे के प्रति
आकर्षण महसूस होगा
जानेंगे, समझेंगे तभी
कदम आगे बढ़ाएंगे
प्यार और सम्मान एक-दूसरे
को देंगे अपार
इसलिए जो भी फैसला लो
सोच समझ कर लो
अपनी खुशी के साथ-साथ
अपनों की खुशी का भी
ख्याल और सम्मान रखो
अपने माँ-बाप का सर कभी
किसी के सामने झुकने मत दो
क्योंकि तुम्हें बढ़ाने के लिए ही तो
वो हमेशा खुद को घटाते रहे है...