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Himanshu Prajapati

Inspirational

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Himanshu Prajapati

Inspirational

लिखावट

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मैं शब्दों को गठजोड़ कहूं,

मैं आंखों को भी कोर कहूं,

पैर मार के बदले क्या,

मैं शब्दों को पुर जोर कहूं।


शब्दों से ही गद्दी खिसकी,

शब्दों से ही दुनिया बिचकि,

कवि कह गया कुछ और प्रयोजन,

तुमने कुछ समझा गलती किसकी ?


तुम चाहो उन्माद कहो,

तुम चाहो तो अवसाद करो,

कोई कह कर चला गया कुछ,

आओ और विवाद करो ।


मैं समझी को ही भोर कहूं,

मैं जश्नों को केवल शोर कहूं,

जो सुनके भिड़ने मजबूर करे,

उस मूढ़ को मैं कमज़ोर कहूं।


 


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