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Himanshu Prajapati

Abstract Others

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Himanshu Prajapati

Abstract Others

मैं और मैं

मैं और मैं

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जगहें संकरी होती देखीं, 

मैं खुद के साथ ही बैठ गया,

यहां ज़िंदा लोगों की कदर नहीं,

मैं कफ़न ओढ़ कर लेट गया।


निरर्थक सी वजहों पे,

यह लड़ने को तैयार हुआ,

दूजे तनिक में काट बे दौड़ें,

इसलिए खुद का ही मैं यार हुआ।


दिखावे करके न जाने, 

ना खुद की पीढ़ी में युक्त हुआ,

ना साग श्रृंगार सलीका जाने,

ना इज्जतदारों में बैठ सका।


सुना है प्रेम अंत में विरह दिए है,

खुद ही विरह जगा बैठा,

आधुनिक प्रेम बेढंगा लागे,

तभी खुद को माशूक बना बैठा।


सभी किसी के दास हैं अब,

और न मैं किसी का दास हुआ,

मुझसे दूर यह बैठ गए,

मैं खुद के साथ ही बैठ गया।


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