लगन लगा ले।
लगन लगा ले।
लगन लगा ले तू सतगुरु से, जो करते भव से पार।
सांसारिक सुख को क्यों गले लगाता, जो देते दु:ख अपार।।
अज्ञानता ही सब दु:खों का कारण, क्यों पकड़ता है संसार।
ईश्वरीय शक्ति सर्वज्ञ ही रहती, जिन पर है उनका अधिकार।।
अपना सम्बन्ध गुरु से कर ले, कर देंगे बेड़ा पार।
समझ सकेगा अपनी शक्तियों को, होंगे निर्मल विचार।।
ज्ञान-चक्षु तेरे खुल जायेगे, सरल बनेंगे व्यवहार।
मन पर तेरा अब राज्य होगा, सबसे करेगा प्यार।।
सत्संग सुधा-रस का पान करके, पहुँचेगा मोक्ष के द्वार।
"नीरज" करता यही प्रार्थना, सजा रहे गुरु का दरबार।।