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Adithi Banerjee Tarafdar

Abstract Inspirational

4.5  

Adithi Banerjee Tarafdar

Abstract Inspirational

लेखिका हूँ

लेखिका हूँ

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लेखिका हूँ, 

गाड़ देना मेरी राख को

किसी पेड़ तले

जहाँ आसमान हो खुला

पंछी उड़ते हो आज़ाद 


गाड़ देना मेरी राख को वहाँ 

जहाँ मंदिर हो पास

एक छोटी सी

जहाँ गांव की कोई स्त्री 

सुबह शाम जलाती हो दिया

करती हो पूजा

पत्थर को मान कर भगवान 


लेखिका हूँ, हाँ दिल से सोचती हूँ 

मौत के बाद क्या

किसको पता


पर मैं, मैं क्या चाहती हूँ 

कुछ भी तो नहीं 

सिर्फ थोड़ा सा सुकून 

और खुले आसमान के तले

आज़ादी सोने की।


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