Sreemanthula Manorama Jyotshna
Crime Others
क्यों क्यों
क्या है वजह
क्या है मेरा गुनाह
सहती हूॅं इसलिए
हर महीना रक्त बहती हूॅं इसलिए
निर्भया और दिसा तो दूर
कुत्तों को भी नहीं छोड़ा है तू क्रूर।
धरती माँ
अक्रम
प्यार
लड़की
ना मिलेगा वरदान हमें मोमबत्ती जलाने से ना आएँगे कृष्ण नीचे द्रौपदी को बचा ने। ना मिलेगा वरदान हमें मोमबत्ती जलाने से ना आएँगे कृष्ण नीचे द्रौपदी को बचा ने...
हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल ! हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल !
वो दर्द की रात थी... तेज बरसात थी... वो दर्द की रात थी... तेज बरसात थी...
फिर फैलेगी तुम्हारी पुष्ट शाखाएँ फिर होगा तुममें स्फूर्ति का संचार फिर फैलेगी तुम्हारी पुष्ट शाखाएँ फिर होगा तुममें स्फूर्ति का संचार
इन पर हमारी पैनी न, सही मगर नज़र तो बनी ही रहती है ! इन पर हमारी पैनी न, सही मगर नज़र तो बनी ही रहती है !
तू ये मत सोच, कि तू बच जाएगा, पहले जो बच कर चले गए वो दोबारा नहीं दोहराएंगे, तू ये मत सोच, कि तू बच जाएगा, पहले जो बच कर चले गए वो दोबारा नहीं दोहराएंगे,
किसके दम पर दबंगई करता है। किसके दम पर दबंगई करता है।
कितने बेपरवाह हो गए ! क्या थे कल हम आज क्या हो गए ! कितने बेपरवाह हो गए ! क्या थे कल हम आज क्या हो गए !
नैतिकता का भारी ओढ़ लबादा नेतागण गलत शासन चला रहे हैं। नैतिकता का भारी ओढ़ लबादा नेतागण गलत शासन चला रहे हैं।
उन सज्जन लोगों से मैं पूछता हूँ की तुम्हारे बाज़ार में मेरी कीमत ही क्या है? उन सज्जन लोगों से मैं पूछता हूँ की तुम्हारे बाज़ार में मेरी कीमत ही क्या है?
बढ़ रही है नफ़रतों की सरहदें, हम फकत करते रहे बर्दाश्त क्या! बढ़ रही है नफ़रतों की सरहदें, हम फकत करते रहे बर्दाश्त क्या!
खुले अम्बर में उड़ने दो, डरती हूं बाहर आने से , मां मुझे कोख में ही रहने दो। खुले अम्बर में उड़ने दो, डरती हूं बाहर आने से , मां मुझे कोख में ही रहने द...
उसके बाद ऐसा कौन सा आरोप होगा, जिसे कालिक बनाकर तुम्हारे चरित्र पर न पोता जाएगा? उसके बाद ऐसा कौन सा आरोप होगा, जिसे कालिक बनाकर तुम्हारे चरित्र पर न पोता जाएगा?
कैसे करते हैं दुनिया वाले खुद को बेमिसाल, हमें तो तुम बदनाम ही रहने दो कैसे करते हैं दुनिया वाले खुद को बेमिसाल, हमें तो तुम बदनाम ही रहने दो
तिमिरलोक, ये जलमंडल है, मैं जिस घर में सोई हूँ । तिमिरलोक, ये जलमंडल है, मैं जिस घर में सोई हूँ ।
बहते रहना चाहिए उसे सड़ांध मारती लोकतंत्र की लहूलुहान लाश पर ? बहते रहना चाहिए उसे सड़ांध मारती लोकतंत्र की लहूलुहान लाश पर ?
लड़के की चाह उसे सोचने से जंजीर डाला जी हाँ मुझे लड़का चाहिए। लड़के की चाह उसे सोचने से जंजीर डाला जी हाँ मुझे लड़का चाहिए।
फिर एक दिन, वो काली घटा छाई, कुछ खूंखार दरिंदों ने ना जाने क्यों, उस पे अपनी नज़र टिकाई...! फिर एक दिन, वो काली घटा छाई, कुछ खूंखार दरिंदों ने ना जाने क्यों, उस पे अपनी नज़...
मेरी चीख भी किसी को सुनाई नहीं दी मां बहुत दर्द में थी मैं मेरी चीख भी किसी को सुनाई नहीं दी मां बहुत दर्द में थी मैं
ज़ो भी नज़ारे होते हैं उन नजरों में हो जाते हैं सब बेकार, हो जाते हैं सब बेकार। ज़ो भी नज़ारे होते हैं उन नजरों में हो जाते हैं सब बेकार, हो जाते हैं सब बेकार...