लौटते हुए यात्रा में
लौटते हुए यात्रा में
चार दिवस मैं पहले आया,
करके सारे काम
अबके करे का लाभ ही होगा
जग में हम कर पायेंगे नाम
जहाँ से चले हम, वो भी खुश,
जहाँ पे पहुंचे, वो भी खुश
और हमेशा ही रहता है ,
ये जाने आने वाला खुश
कुछ तो जल्दी काम थे निबटे
कुछ तो कसक थी याद की तेरी,
अबसे जल्दी आया करूंगा,
अब न करूंगा कभी भी देरी
खुशबू आती मंजिल की अब
बस चंद बचे हैं पल
कितनी जग ने दी हों मुश्किल,
घर आना हर बात का हल।