लौट आओ गज़ल
लौट आओ गज़ल
दर्द का सौदा न कर मेरे यार से
दर्द खरीद ले आये हम बाज़ार से।
हर तमन्नाएँ सजी बाज़ार में
प्यार की कीमत लगाओ प्यार से।
याद जब सारे फ़साने आ गए
हर खबर पढ़ ली तेरी अख़बार से।
तेरे शहर से रौशनी आती रही
ना मिला कुछ यार अब कि बहार से।
मिल गयी जो पनाह रास न आएगी
पूछे ठिकाना जुल्फ क्यों रुखसार से।
हम कहाँ से एक मसीहा लायेंगे
हाल पूछने के लिये बीमार से।
कुछ नहीं है दिल में अरमाँ रह गए
कर रही है बातें "नीतू" दीवार से।
गिरह
ना फिसलना रेत की तरह अब कभी
लौट आओ तुम उसी अधिकार से।
