STORYMIRROR

हरीश कंडवाल "मनखी "

Romance

4  

हरीश कंडवाल "मनखी "

Romance

लाल रंग की लालिमा

लाल रंग की लालिमा

1 min
343


मोहे लाल रंग रंगने दे संवरिया

गोरे गालों को मलने दे संवरिया

प्रेम का रंग है, प्रेम की है डगरिया।

मोहे लाल रंग रंगने दे संवरिया।।


मोहे लाल रंग ना लगा पिया

मोहे लाज आवे मोरे हिया

नैना देख तुम्हे बहुत लजाये 

मोहे लाल रंग ना लगा पिया।।


गोरी तुझे आज लाल रंग लगाऊं

संग तेरे प्रीत के रंग में रंग जाऊं

आजा गोरी तुझे प्रीत से रिझाऊँ

गोरी तुझे आज लाल रंग लगाऊ।


मोहे भी तेरी प्रीत मे रंग जाऊँ पिया

तेरे लाल रंग को माथे पर सजाऊँ

मोरे गाल तुम्हे देख शर्म से हुये लाल

अब तुझे दिल की बात कैसे बताऊ।।


आओ अब होली के रंग में रंग जाएं

लाल रंग चढा जवानी का रम जाएं

आजा मोरे सांवरिया हिया से लगाएं

प्यार के रंग में रंगी, मोहे लाज आए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance