लाजवाब
लाजवाब
मुझे बयान करे ऐसी कोई किताब नहीं
मेरी हकीकतों के जैसा तो कोई ख्वाब नहीं।
सुनो! तुम पूछते थे ना कि मैं क्या हूँ ?
मैं लाजवाब हूँ, मेरा कोई जवाब नहीं।
ना पूछ तुझसे मेरी नफ़रतों की हदें
बेहद हैं, खुब हैं, इनका कोई हिसाब नहीं।
क़हर बहुत हैं दुनिया में देखने को मगर
मेरे अताब से बढ़कर कोई अज़ाब नहीं ।
जो तुम दीवार हो तो आफताब है 'उल्का'
उसे छुपा सके, ऐसा कोई हिज़ाब नहीं।
अताब- गुस्सा, अजाब-आफत, पीड़ा
आफताब- सुर्य , हिजाब- ओट, पर्दा
