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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

Inspirational

लाजमी है

लाजमी है

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जिस ज़िक्र पे.. उम्र करते फिक्र गुजरी सारी...

वह वक्त के हर शय पर ..होते कितने भारी......

यह वो हुकुम के पत्ते हैं.. जो हर इक्के पे हैं भारी....

है लाज़मी ..हर बात कहने की है वह अदब...

करेगा कुबूल वह दुआ.. खुदा होगा मुस्तज़ाब..

जिंदगी- ए- पल.. जीए जिस शान शौकत-ए-अब्र में...

इक झोंके में समा जाएगा.. दो गज मिट्टी के कब्र में..

कहकहों के मेले में.... कुछ मंजर ऐसे देखे हैं....

भीड़ के मेले में ...खुद को तन्हा लौटे देखे हैं....

ऐ खुदा ..तू मुझे कभी इतना रुतबा- ए - गुरूर ना दे..

जो मुझे अपने सिवा ...इस जहां में कुछ दिखाई ना दे..

मस्त रहूँ मैं... डूब कर ताउम्र तेरी उस बंदगी में...

रोशन हो ... वह चिराग चंद दिनों की इस जिंदगी में..

वक्त की हिज्र मचल रहा जो तुझ में मिलने को वह शबाब.

परवाने की तरह गुजर जाएगा..आँखों में लिए वह ख्वाब..

चारों तरफ तेरे ही नाम के हैं... काबे और शिवालय...

गूँज रहे जो उसमें... बेफिक्र सूफियाने, अजान, कव्वाले..



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