STORYMIRROR

Amit Nigam

Romance

4  

Amit Nigam

Romance

क्यूं जिएं?

क्यूं जिएं?

1 min
7

या मेरे मौला, अगर वो नहीं आता,

तो मौत ही सही,

क्यूं मैं सुनता हूं वो बातें,

जो उसने कही ही नहीं।


क्यूं मैं सपने बुनूं,

जब वो साथ ही नहीं।

क्यूं जी रहा हूं,

जब उसके आने की आस ही नहीं।


वो गुम है किसी की याद में,

और मुझे उसका इंतजार है।

क्या जिंदगी का कोई मक़सद है,

या ऐसी जिंदगी बेकार है??


दुआ रहेगी मेरी,

की जो वो चाहे उसे मिल जाए।

जिंदा रहते तो फूल नसीब ना हुए,

शायद मेरी कब्र पे खिल जाएं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance