क्यों...?
क्यों...?
क्यों...?
क्यों नहीं महसूस होती तुझे मेरी तकलीफ,
जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते हैं तुझे।
दिल रोते रोते बातें करता हैं,
पर क्यों मेरी बातें उन्हें सुनाई नहीं देती।
यह दिल तेरी यादों में खोया खोया रहता है,
पर क्यों तू मुझे ढूंढता नहीं।
आज भी लोग मुझे तेरे नाम से जानते हैं,
पर तू ही क्यों मुझे पहचानता नहीं।
हर समय मिलना चाहती हूं तुझसे,
पर क्यों तू मुझसे बिछड़ना चाहता हैं।
तुझे मैं जीवन भर के लिए पाना चाहती हूं,
पर तू ही क्यों मुझे खोना चाहता हैं।
साथ जीना चाहती थी तेरे,
पर क्यों यह दिल और गवाही देना नहीं चाहता।
क्यों......?

