मैं क्यों लिखती हूं
मैं क्यों लिखती हूं
मैं क्यों लिखती हूँ ?
कभी कभी अकेलेपन में सोचती थी,
मैंने लिखना क्यों शुरू किया और मैं लेखिका क्यों बनी ?
जवाब जल्द ही मेरे दिमाग और मेरे दिल में आ गई,
मैं इतना मजबूत और जोशीली कभी नहीं थी, कुछ भी नहीं जानती थी।
लेखन ने मुझे पंख और उड़ने की आजादी दी,
इसने मुझे बोलने की शक्ति दी और मैं आत्म-विश्वास के साथ कर सकती थी।
एक लेखिका होने के नाते मैं इस पल को हमेशा संजो कर रखूंगी,
मैं पिंजरे में बंद पंछी थी, लेकिन अब मैं स्वतंत्र महसूस करती हूं।
मैं अपनी आत्मा और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखती थी,
इसने मेरे अंदर की आग को प्रज्वलित किया और जुनून को जीवन दिया।
अब मैं अपने हुनर को निखारूंगी और जल्द ही आसमान में चमकूंगी,
आप भी अपना सर्वश्रेष्ठ दें, अपने सपनों को पूरी तरह से जिएं और ऊंचा उठें।