Sanjay kumar manik
Tragedy Others
क्यों है वो इतना अंजाना
जो था जाना-पहचाना,
ये साजिश वक़्त की है
या फिर अपना कारनामा,
जो था जाना-पहचाना...
परवाह नहीं
असली ख़ज़ाना
ज़िन्दगी की द...
क्यों है वो इ...
न रहने का ठिकाना है नित कमाना खाना है न रहने का ठिकाना है नित कमाना खाना है
वापिस एक दिन आऊँगा और तेरी मांग सजाऊँगा। वापिस एक दिन आऊँगा और तेरी मांग सजाऊँगा।
हम भी जिद के पक्के हैं, इस गुस्से को शांत नहीं होने देंगे। हम भी जिद के पक्के हैं, इस गुस्से को शांत नहीं होने देंगे।
कितने हसीं थे सारे मौसम यादों में अब रह गये लाल उदासीन नीले ग़म है कितने हसीं थे सारे मौसम यादों में अब रह गये लाल उदासीन नीले ग़म है
मेरी रज़ा भी तो पूछ मेरी रज़ा भी तो पूछ
अपने ख्वाबों से बिखरे कुछ कागज़ के टुकड़ों को और ठूंस देती है उसे जिंदगी के बोरे में अपने ख्वाबों से बिखरे कुछ कागज़ के टुकड़ों को और ठूंस देती है उसे जिंदगी...
मैं तुमको कभी भूला न सकूंगा पर कोशिश मैं हर रोज करूँगा दिल से धड़कन को हटा न सकूंगा जान हो तुम मे... मैं तुमको कभी भूला न सकूंगा पर कोशिश मैं हर रोज करूँगा दिल से धड़कन को हटा न स...
उनसे मोहब्बत करने की सज़ा क्या ख़ूब पाई है हम शबनम की बूंदों से जलकर ख़ाक हो गये है उनसे मोहब्बत करने की सज़ा क्या ख़ूब पाई है हम शबनम की बूंदों से जलकर ख़ाक हो ...
मेरे जिस्म का या तेरी निगाहों का है ? मेरे जिस्म का या तेरी निगाहों का है ?
औरों की सोच का वो ही जाने, हम तो बस अपने दिल की माने ! औरों की सोच का वो ही जाने, हम तो बस अपने दिल की माने !
बेइंतहा मोहब्बत फिर क्यों है कहानी अधूरी सी, अपनी किस्मत पे सवाल उठा आया हूँ, तेरी यादों को लफ्... बेइंतहा मोहब्बत फिर क्यों है कहानी अधूरी सी, अपनी किस्मत पे सवाल उठा आया हूँ...
कौन विस्थापित हुआ शहर में कौन विस्थापित हुआ शहर में
शहरों को भी खा बैठे नदी नाले पुलिया पुल नहरों को भी खा बैठे शहरों को भी खा बैठे नदी नाले पुलिया पुल नहरों को भी खा बैठे
अंत में बस मैं और वो थी, उसके लिए मोहब्बत इस कदर थी, मैं महफ़िल का मुसाफ़िर था, वो एक खुशनुमा सफर... अंत में बस मैं और वो थी, उसके लिए मोहब्बत इस कदर थी, मैं महफ़िल का मुसाफ़िर था...
क्यों मुकर जाता है हर जिम्मेदार वचन से। क्यों मुकर जाता है हर जिम्मेदार वचन से।
मुझे मेरा सम्मान चाहिए वो सम्मान, वो अभिमान चाहिए। मुझे मेरा सम्मान चाहिए वो सम्मान, वो अभिमान चाहिए।
भारत माता का दुखित स्वर , जलियांवाला बाग – 1919 से पुलवामा – 2019 तक भारत माता का दुखित स्वर , जलियांवाला बाग – 1919 से पुलवामा – 2019 तक
उजड़ी सियासत सी दहलीज़ से सूने घर सूनी गलियाँ शहीदों की लगती है उजड़ी सियासत सी दहलीज़ से सूने घर सूनी गलियाँ शहीदों की लगती है
कहते है जब कोई तुमसे दूर हो जाए, तब उसकी अहमियत का पता चलता है तुम्हारे जाने से मुझे मेरी औकात प... कहते है जब कोई तुमसे दूर हो जाए, तब उसकी अहमियत का पता चलता है तुम्हारे जाने...
एक लाठी को पकड़े पूरा डंडी मार्च किया, आज उसी भीड़ पर कितना लाठी चार्ज किया। एक लाठी को पकड़े पूरा डंडी मार्च किया, आज उसी भीड़ पर कितना लाठी चार्...