Sanjay kumar manik
Tragedy Others
क्यों है वो इतना अंजाना
जो था जाना-पहचाना,
ये साजिश वक़्त की है
या फिर अपना कारनामा,
जो था जाना-पहचाना...
परवाह नहीं
असली ख़ज़ाना
ज़िन्दगी की द...
क्यों है वो इ...
वो मोहब्बत है मेरी वो कुछ भी कर सकती है वो मोहब्बत है मेरी वो कुछ भी कर सकती है
गर्मियों की चिलचिलाती धूप मेें शहर मेें बरपा सन्नाटा था। गर्मियों की चिलचिलाती धूप मेें शहर मेें बरपा सन्नाटा था।
तुम शायद नाराज थे मुझसे, अरे कह देते, आते तो चाहें दूर रह लेते। तुम शायद नाराज थे मुझसे, अरे कह देते, आते तो चाहें दूर रह लेते।
का फल चखा तो जाओ, सपनों में ही सही, एक बार आ तो जाओ। का फल चखा तो जाओ, सपनों में ही सही, एक बार आ तो जाओ।
मैं एक, मध्यमवर्गीय परिवार मेंं जन्मा, हमेशा पैसेे की, किल्लत देखी। मैं एक, मध्यमवर्गीय परिवार मेंं जन्मा, हमेशा पैसेे की, किल्लत देखी।
दोबारा कभी न मिलता न कहीं दिखता। दोबारा कभी न मिलता न कहीं दिखता।
दिल में यादें दफन है तुम्हारी अब हर किसी से तुम्हारी हम बात नहीं करते। दिल में यादें दफन है तुम्हारी अब हर किसी से तुम्हारी हम बात नहीं करते।
मौसम-ए-बहार नेकियों का मौसम माह-ए-सियाम। मौसम-ए-बहार नेकियों का मौसम माह-ए-सियाम।
मर्यादा से जीना सीखाते भगवान अवतारी चेतना आदर्श पूज्य राम। मर्यादा से जीना सीखाते भगवान अवतारी चेतना आदर्श पूज्य राम।
"मौत भी मुफ़लिसों को मौका नहीं देती।" बड़ी मुश्किल घड़ी थी। "मौत भी मुफ़लिसों को मौका नहीं देती।" बड़ी मुश्किल घड़ी थी।
तेरी महोब्बत में कितना बदल गया तेरी बेवफाई को हँसकर सह गया। तेरी महोब्बत में कितना बदल गया तेरी बेवफाई को हँसकर सह गया।
डॉक्टर अर्चना को न्याय दिलाओ, और धरा पर मानवता को बचाओ डॉक्टर अर्चना को न्याय दिलाओ, और धरा पर मानवता को बचाओ
एक दिन ऐसा आयेगा जब तुम अकेले रह जाओगे। एक दिन ऐसा आयेगा जब तुम अकेले रह जाओगे।
दहशत में सिसक रही आवाज़ को बहरे कानों तक पहुँचना जरूरी है ! दहशत में सिसक रही आवाज़ को बहरे कानों तक पहुँचना जरूरी है !
महकता है यह चमन , चहकता है यह गगन। महकता है यह चमन , चहकता है यह गगन।
बाते कम ही करती हूँ आजकल में सबसे अपनी बातों से किसी का दिल नहीं दुखाती बाते कम ही करती हूँ आजकल में सबसे अपनी बातों से किसी का दिल नहीं दुखाती
ज़िंदगी से ही अपना सब कुछ हार रहा हूँ मैं खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा हूँ मैं। ज़िंदगी से ही अपना सब कुछ हार रहा हूँ मैं खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा ह...
नफरत में कर दो तुम सारी हदें पार फिर भी तुम हमें कबूल हो। नफरत में कर दो तुम सारी हदें पार फिर भी तुम हमें कबूल हो।
इक दर्द का सागर है मैं बैठा उस तट पर। इक दर्द का सागर है मैं बैठा उस तट पर।
आखिर धीर धीरे, गर्मी दस्तक देने लगी। आखिर धीर धीरे, गर्मी दस्तक देने लगी।