क्यों आखिर
क्यों आखिर
आज सुबह यथावत
पढ़ने बैठी मैं अखबार
पहले पन्ने पर ही लिखा था
चौंकाने वाला एक समाचार
"इंटरनेट पर आत्महत्या संबंधी
सामग्री तलाश रहे हैं लोग"
मन में सवाल उठा
आखिर क्यों
जीवन जीने के गुर
ढूंढने की जगह
जीवन मिटाने के तरीके
तलाश रहे हैं लोग
क्यों
नकारात्मक विचारों के
शिकार हो रहे हैं लोग
क्यों
जिंदगी से हार रहे हैं लोग
क्यों कोई
जीवन से थक जाता है
यकायक चलते चलते
रूक जाता है
सब कुछ होते हुए भी
जिजीविषा छोड़ देता है
सबके होते हुए भी
अकेला पड़ जाता है
क्या ये पीढ़ी जीवन संग्राम
लड़ना नहीं जानती
विषम परिस्थिति में
अपने को ढालना
नहीं जानती
राम हँसते हँसते
वन चले गए
कृष्ण हँसते हँसते
मथुरा छोड़ गये
ध्रुव निकल गये
स्वयं की खोज में
बुद्ध निकल गये
सत्य की खोज में
कालीदास उलाहना सुन
महाकवि बन गए
तुलसीदास
रामचरितमानस लिख गए
निराशा से घिरे
अर्जुन को श्रीकृष्ण ने
राह दिखाई
हर युग में मानव
चुन सके सही राह
ज्ञान कर्म भक्ति की
गंगा बहाई
बच्चों को
गीता ,रामायण से
परिचित करवायें
भौतिकता नहीं
आध्यात्म सिखायें
विचारों में
सकारात्मकता आयेगी
जीवन में
हताशा कभी ना आयेगी।।