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Kanchan Prabha

Abstract

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Kanchan Prabha

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क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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उनकी आँखों में मैंने आज क्या पाया था

कि उन पर प्यार कुछ खास आया था

अल्सायी सी मैं सपनों में खोयी थी

मुझे उनके मुस्कुराते नैनों ने जगाया था

क्या यही प्यार है ?


अंधेरों से निकल कर उनकी नजरों तक जो गई थी

उन रौशनी में समाया उनका ही साया था

प्रेम के पराग की खुमारी कुछ ऐसी थी

सपनीले नैनों में गजब सा नशा छाया था

क्या यही प्यार है ?


मेरे दिल की भी धड़कनें वहीं खोयी थी

उनकी बेचैन आँखो ने मुझे ही तरपाय था

उनकी मुस्कुराहट में कोई अनकही बात छुपी थी

उनकी पलकों में मैंने कुछ शरारत पाया था

क्या यही प्यार है ?


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