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SIDHARTHA MISHRA

Classics Inspirational

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SIDHARTHA MISHRA

Classics Inspirational

क्या लौटना है संभव

क्या लौटना है संभव

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एक बार एक व्यक्ति गया अपने राजा के

दरबार मे और बोला कि है बड़ा निर्धन वह,

अगर कुछ जमीन मिल जाती उसे,

तो खेती करके अपना और अपने परिवार का

गुज़ारा कर सकता है।


यह सुनकर राजा बोले कि-" ठीक है,

कल आना मेरे खेत मे।

जितनी ज़मीन दौड़ कर नाप पाओगे,

उतनी ज़मीन तुम्हारी, पर ध्यान रखना कि

सूरज डुबने से पहले तुम्हे वापस आना है,

वरना कुछ भी नहीं मिलेगा।"


अगले दिन वह आदमी गया राजा के खेत मे,

और राजा जी भी पहुंचे अपने अनुच्छेरों के साथ।

राजा के इशारे पर वह आदमी लगा दौड़ने और

उसने पूरा दिन भागा और बहुत सारी जमीन

नाप ली, पर अचानक उसने देखा कि

 अब कुछ हि पल मे सूरज डूब जायेगा!


उसको राजा कि बात याद आई कि

अगर वहा सूरज डूबने से पहले

वापस नहीं लौट पाया तो उसे

कुछ भी नहीं मिलेगा।


वहा लगा भागने पर बीच रास्ते पर हि

गिर पड़ा और उसके प्राण पाखीरू वहीँ उड़ गए।

राजा उस जगह पर पहुंचे जहाँ पर

वहा आदमी पड़ा हुआ था,

और अपने सिपाहीओं से कहा उसे

दफ़नाने के लिए, उसे बस दो गज कि

जमीन हि चाहिए थी, खामाखा उसने इतनी

परिश्रम कि।


हम सब भी अपने जीवन मे

अपने काम काज और व्यस्तता को लेकर

इतनी दूर निकल जाते हैं कि

हम ये भूल जाते हैं कि हमें लौटना भी है।

हमें अपने रिश्तों कि कदर करनी चाहिए।

ये रिस्तेदार और दोस्त हि हैं

जो हमारे बुरे वक्त मे काम आते हैं।



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