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Karan Bansiboreliya

Inspirational

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Karan Bansiboreliya

Inspirational

क्या कमाल का वक्त आया है

क्या कमाल का वक्त आया है

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देखो क्या कमाल का वक्त आया है

अपनों को पराया और परायों को अपना बनाया है

पशु पक्षियों को कैद किया पिंजरे में

आज खुद को एक फोन में कैद पाया है

देखो क्या कमाल का वक्त आया है


हर छोटी छोटी बातों पर मोबाइल निकालने वालों

हर समस्या के समाधान को गूगल करने वालो

सब को दीवाना फोन ने नहीं

सोशल मीडिया ने बनाया है

देखो क्या कमाल का वक्त आया है


समय देखे फोन में

घड़ी को गुमनाम किया है

हिसाब करते फोन में

कैलकुलेटर को गुमनाम किया है

लिखते रहे फोन में

कागज कलम को गुमनाम किया है

अलार्म लगते फोन में

अलार्म घड़ी को गुमनाम किया है

डिजिटल लाइफ के चक्कर में,

सभी को आदि बनाया है

देखो क्या कमाल का वक्त आया है


तार, चिट्ठी छीन ली व्हाट्सएप ने

बुक को छीन ली फेसबुक ने

बही खाता लिखने वाले बैठ गए घर

जब जगह बना ली अपनी कंप्यूटर ने

अब तो बोझा भी मशीनों और रोबोट से उठवाया है

बढ़ती हुई तकनीक ने बेरोजगारी को बढ़ाया है

मानवता और एकता दबी किताबो में

निकाला फोन सब ने वीडियो बनाया है

देखो क्या कमाल का वक्त आया है


कमी होती जब प्राणवायु की,

बेबस होकर घूमता वो

ले कर कुल्हाड़ी हाथों में,

लगातार पेड़ों को काटता वो

बिना रुपए की चीज मिले तो,

कद्र कहां समझ आती है

मुंह उतर जाता है लोगों का,

जब खुद के रुपयों से चीज आती है

मेरे मालिक ये कैसा समय ले आया है..?


जंगल काट घर तुमने बसाया है

मैंने बस प्रकृति और मानव बनाया है

ये सब तुमने अपने हाथों से सजाया है

सभी मिलकर देते हो दोष मुझे और कहते हो

देखो क्या कमाल का वक्त आया है



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