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Karan Bansiboreliya

Abstract

4.5  

Karan Bansiboreliya

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मेरे महाकाल (mere mahakal)

मेरे महाकाल (mere mahakal)

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तेरी चौखट का भिखारी बनना चाहता हूं

लोगों से मांगा बहुत अब तुझसे मांगना चाहता हूं

एक प्रार्थना खास करना चाहता हूं

मैं बस तेरा दास बनना चाहता हूं

मैं रावण कोई नहीं प्रभु,

शीश काट कर चढ़ाऊंगा..! 

मैं शुक्राचार्य भी नहीं गहन तपस्या कर

आपसे संजीवनी ले जाऊंगा..!

मैं हूं नहीं भस्मासुर सा चालक प्रभु,

जो आपको ही भस्म करना चाहूंगा..!

बस एक बेलपत्र समर्पित करना चाहता हूं

मैं बस तेरा दास बनना बनना चाहता हूं...!

सुना है मैंने कि जब तेरी चलती है 

तो किसी की नहीं चलती है

महाकाल के आगे काल की नहीं चलती है

मैं तेरा होकर तेरी चलाना चाहता हूं मेरे प्रभु

जिन के सामने मेरी नहीं चलती है...! 

कलयुग का भक्त हूं भगवन 

लौटे भर जल से प्रसन्न करना चाहता हूं

तेरी चौखट का भिखारी बनना चाहता हूं

तीन लोक नौ खंड हर जगह है हर हर 

तेरे नाम से ही भवसागर पार करना चाहता हूं

एक प्रार्थना खास करना चाहता हूं

मैं बस तेरा दास बनना चाहता हूं

Karan Bansiboreliya from Ujjain MP 

Kb shayar 2.0


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