क्या खोया: क्या पाया
क्या खोया: क्या पाया
यह जीवन यूं ही चल रही है ।
कुछ हो रहा है ।।
कुछ पा रहे हैं।
यश और अपयश की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं।
जिंदगी यूं ही बीती जा रही है ।।
तू मुसाफिर है कुछ पा जाएगा।
तो कुछ खो जाएगा ।।
ऐसी ही तेरी जिंदगी चलती रहेगी ।
जो तेरे साथ हो रहा है।।
वह कुछ नया नहीं हो रहा है ।
तुझसे पहले भी लोग आए थे ।।
उनके साथ भी ।
यही हुआ था।।
जो तेरे साथ हो रहा है ।
कुछ ज्ञान से पाए जाते हैं ।।
तो कुछ अज्ञानता में खो देते हैं।
इन दोनों में सामान्य से बना ले यही जीवन को धन्य बना ले।।