क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
एक व्यक्ति एक दिन बिना बताए काम पर नहीं गया।मालिक ने, सोचा की उसकी तनख्वाह बढ़ा दी जाये तो यह और दिलचस्प से काम करेगा और उसकी तनख्वाह बढ़ा दी।अगली बार जब उसको तनख्वाह से ज्यादा पैसे दिए तो वह कुछ नहीं बोला चुपचाप पैसे रख लिए। कुछ महीनों बाद वह फिर ग़ैर हाज़िर हो गया।मालिक को बहुत गुस्सा आया सोचा इसकी तनख्वाह बढ़ाने क्या फायदा हुआ यह नहीं सुधरेगा और उस ने बढ़ी हुई तनख्वाह कम कर दी।वह इस बार भी चुपचाप ही रहा और फिर कुछ ना बोला। तब मालिक को बड़ा ताज्जुब हुआ। उसने उससे पूछा की जब मैंने तुम्हारे गैरहाज़िर होने के बाद तुम्हारी तनख्वाह बढ़ा कर दी तुम कुछ नहीं बोले और आज तुम्हारी गैर हाज़री पर तनख्वाह कम कर के दी फिर भी तुम खामोश ही रहे.....!! इस की क्या वजह है.....? उसने जवाब दिया, जब मैं पहले गैरहाज़िर हुआ था तो मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था....। आपने मेरी तनख्वा बड़ा कर दी तो मैं समझ गया परमात्मा ने उस बच्चे का पोषण का हिस्सा भेज दिया है और जब मैं दोबारा गैरहाज़िर हुआ तो मेरी माता जी का निधन हो गया था। जब आपने मेरी तनख्वाह कम दी तो मैंने यह मान लिया की मेरी माँ अपने हिस्से का अपने साथ ले गयी। फिर मैं इस तनख्वाह के खातिर क्यों परेशान होऊँ जिस का जिम्मा खुद परमात्मा ने ले रखा है..!!
एक खूबसूरत सोच:
अगर कोई पूछे ज़िदगी में क्या खोया और क्या पाया,तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और जो भी पाया वह प्रभु की मेहरबानी थी, खूबसूरत रिश्ता है मेरे और भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं..।