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क्या खोया है मैंने ?

क्या खोया है मैंने ?

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तेरे दुख और दर्द को

बारीकी से सहा है मैंने

खुद के आँसू को

छुपाके पलकों से

तुझे हँसाया है मैंने


तेरे चेहरे से उतरे नूर को

वापस लाने की कोशिश में

दिन - रात खुद को जगाया है मैंने

तेरे सपनों को पूरा होते देखने के लिए

अपनी नींदों को

जागकर गंवाया है मैंने


आखिर तुझे ही खोकर

लगता है आज

सच में इतने सालो में

क्या पाया है

खुद मैंने...?


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