क्या अजीब सिलसिला है
क्या अजीब सिलसिला है
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क्या अजीब सिलसिला है मोहब्बत का,
कोई अपने सीने में तुफ़ान लिए बैठा है
और किसी के दिल में आगाज़ तक नहीं।
क्या अजीब सिलसिला है मोहब्बत का
कोई अपना सबकुछ लुटाए बैठा है
और किसी के दिल को खबर तक नहीं।
क्या अजीब सिलसिला है मोहब्बत का
कोई उसे ख़ुदा मान बैठा है
और उसे उसके मोहब्बत कि ख़बर तक नहीं।
वो अपना सब कुछ लुटाए बैठा है,
और उसे उसके मोहब्बत कि ख़बर तक नहीं।।।