akash bansirar

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सफर

सफर

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चल पड़ा हूँ, एक नए सफर की ओर,

पुरानी राहों पुराने रिश्तों को छोड़।

किस्से और कहानियों को बटोर कर,

कुछ अच्छी कुछ खट्टी यादों को बटोर कर।

आंखों में नमी चहरे पर मुस्कराहट लिए,

कुछ को दुआ दिए, तो कुछ कि दुआ लिए।

की अब उन पुरानी ऊंची नीची राहों को छोड़,

चल पड़ अब एक नए सफर कि ओर।।


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