क्या ऐसा हुआ होगा
क्या ऐसा हुआ होगा
और क्या अब मुझे तुझसे गिला होगा
के अब तुम गैर हो, गैर से क्या इक़्तिज़ा होगा।
मौसम के बदलने पर, बदलना आशिया होगा
गुजरी क्या दरखतो पे, जो परिंदे ने कहा होगा।
मुझे यूँ ही परखने को, ज़िक्र उसने किया होगा
सुरते~हाल ना बदला, त’अज्जुब तो किया होगा।
के शक हर बात पे करना, नया धोखा मिला होगा
नमी थी उसकी आंखो में, जख्म ताज़ा रहा होगा।
नहीं मुझको पता, क्या बाद मेरे हुआ होगा
ना बोला मेरे आगे जो, क्या खाक पीछे कहा होगा।
कौन आया मुझसे मिलने को, मेरा बचपन रहा होगा
वो लौटा फिर ना आने को, बद-अख्त़र मुझ सा कहां होगा।
