कविता
कविता
तू जिसका है उसका भी नहीं,, तो मेरा क्या होगा।
गम है तेरे बाद आई नौबत का क्या होगा।।
एक तरफा चाहत को मुकम्मल कौन मानता है।।
हम दोनों यूं बिछड़ेंगे तो मोहब्बत का क्या होगा।।
अब यूं है के रात तो कट जाएगी बगल के मयखाने में।
मगर दिन कि फुरसत में मेरी सोहबत का क्या होगा।।
तू कुछ तो रख तेरे हाथों में मेरे हाथ के कमाई का।
तू चूड़ियां भी ना पहनें तो मेरी दौलत का क्या होगा।।