कविता
कविता
हे कविता !
तुम हो शब्द ब्रह्म
अर्थों के परम अर्थ
जिसका आश्रय पाकर
वाणी होती ना व्यर्थ।
हे कविते !
नमन है,
तुम्हें नमन
करते आए
जो कविजन
उनके लिए।
युगों-युगों
तक रहेगी
कविता
अस्त्र और कवच।
हे कविता !
तुम हो शब्द ब्रह्म
अर्थों के परम अर्थ
जिसका आश्रय पाकर
वाणी होती ना व्यर्थ।
हे कविते !
नमन है,
तुम्हें नमन
करते आए
जो कविजन
उनके लिए।
युगों-युगों
तक रहेगी
कविता
अस्त्र और कवच।