हे कविता ! तुम हो शब्द ब्रह्म अर्थों के परम अर्थ जिसका आश्रय पाकर वाणी होती ना व्यर्थ। हे कविता ! तुम हो शब्द ब्रह्म अर्थों के परम अर्थ जिसका आश्रय पाकर वाणी होत...