कविता...
कविता...
मनोभावों का जीवंत रूप है कविता।
आदि से अंत का प्रारूप है कविता।।
अर्थपूर्ण शब्दों का भंडार है कविता।
नवरसों का सुंदर श्रृंगार है कविता।।
कवि के मन का भेद है कविता।
वियोगी चित्त का खेद है कविता।।
मौन में संवाद है कविता।
सांच-झूठ का विवाद है कविता।।
नारी का मोहक ख़्वाब है कविता।
पुरुष का दृढ़ रुआब है कविता।।
प्रकृति का बखान है कविता।
जन-जन का कल्याण है कविता।।
धूप-छांव का अहसास है कविता।
बिन बादल बरसात है कविता।।
तन्हाई का साज है कविता।
हर राज़ का हमराज है कविता।।
आप सभी को मेरी तरफ से विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं