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Akhtar Ali Shah

Inspirational

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Akhtar Ali Shah

Inspirational

कविता...वक्त

कविता...वक्त

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वक्त किसी का कब होता है।

वक्त नहीं काँटे बोता है।।

सदुपयोग वक्त का कर लें ।

बस ये आवश्यक होता है।।

निकल गया जो वक्त, नहीं फिर आता है।

समझो इसको यही भाग्य निर्माता है ।।


वक्त नहीं मोहताज घड़ी का, चलता है ।

कब होता ये आहत ,आँखें मलता है ।।

नहीं रुका ये कभी, किसी के रोके से।

बंद घड़ी हो चाहे, वक्त बदलता है ।।

समय सदा बलवान, घड़ी बलवान नहीं।

पल पल परिवर्तन ही इसे सुहाता है।।

निकल गया जो वक्त, नहीं फिर आता है।

समझो इसको यही भाग्य निर्माता है ।।  


घड़ी घड़ी है, मानव निर्मित थाती है ।

कल आई है पर कितनी इठलाती है।।

वक्त निरंतर , सत्य रहा है सदियों से ।

वक्त तलक ये कहाँ पहुंचने पाती है ।।

झोंका एक, वक्त का काफी एक पल का।

सबको अपनी ये ,औकात बताता है ।।

निकल गया जो वक्त , नही फिर आता है।

समझो इसको, यही भाग्य निर्माता है ।।


वक्त मुकर्रर है, आने का जाने का।

ऐ "अनंत" फिर, काहे को घबराने का।।

उसकी चक्की चलती, रोज़ पीसती है। 

हंसते गाते जीवन, तुझे बिताने का ।।

उसके हाथों डोर है , अपने जीवन की।

जिसमें ताकत रोक वक्त को पाता है।

निकल गया जो वक्त,नहीं फिर आता है।

समझो इसको, यही भाग्य निर्माता है ।।



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