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Amita Dash

Abstract Inspirational Children

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Amita Dash

Abstract Inspirational Children

कविता प्रतियोगिताकविता

कविता प्रतियोगिताकविता

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बचपन हो या पचपन

अंत में दोनों में पन तो है

बचपन गुजरा मां के गोद में

पचपन कर रहा है गुजारा

कविता के आंचल समेटे।

बचपन से किशोर, किशोर से यौवन,

यौवन से पचपन।

कुछ यादें कुछ फरियादें।


किशोर अवस्था में पहाड़ा याद करने से

ज्यादा मजेदार,

लड़कियों के पीछे बैठ के बाल खींचना

यौवन का प्रेम पत्र पापा के हाथ आना

क्या भूले-बिसरे पिटाई याद है सब भाई

कितनी जल्दी सब फिसल गया रेत की तरह।

पचपन इंतजार करें कब एक मुट्ठी मिट्टी होना

अनुभूतियां सब ताजे हैं

कितने किस्से सुनाऊं कितने छिपाऊं खुद से।



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