STORYMIRROR

Shubhra Ojha

Abstract

4  

Shubhra Ojha

Abstract

कविता का मिजाज़

कविता का मिजाज़

1 min
23.7K

नमक, मिर्च और मसाले का अनुपात

जानने वाले ये दो हाथ,

वो क्या समझेंगे कविता का मिजाज़,

तुम क्या समझती हो,

लिखना, बैगन- भरता जितना हैं आसान,


ये कल्छूल पकड़ने वाले हाथ

कलम को दे नहीं पायेंगे सम्मान,

तो छोड़ो तुम ये कविता लिखने की बात

जाओ सम्हालो तुम अपने किचन का कार्य- भार


किचन का कार्य- भार सम्हालते हुए

थाम लूंँगी मैं कलम का हाथ

लिखूंँगी खूब सारी कविताएं

दुनिया के सभी स्त्रियों के नाम,

उड़ती चिड़िया लिखूंँगी


मुस्कुराते फूल, हँसते बच्चें तो 

कभी रास्ते में मिलने वाले शूल,

ये कल्छूल थामने वाले हाथ

गढ़ेंगे खूब सुंदर कविता का आयाम,

तब खुलेंगे तुम्हारे ज्ञान चक्षु

होगा तुम्हें अपनी भूल का अहसास।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract