कवि व किसान
कवि व किसान
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किसान हूँ,
व कलमकार।
है लेखनी,
मेरी धारदार।
मैं जमाने को,
राह दिखाता हूँ।
मैं जमाने के लिए,
अन्न उगाता हूँ।
कलम चलता,
भाव विचार से।
हल करता हूँ,
मैं हल की धार से।
आखिर मैं एक
कलमकार हूँ।
आखिर मैं,
वक्त की पुकार हूँ।
क्योंकि ज़माने की,
भूख मिटाना काम है।
देखो आज देता,
कवि,किसान को सम्मान है।