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Kalpesh Vyas

Comedy

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Kalpesh Vyas

Comedy

कवि सेर पत्नी सवा सेर

कवि सेर पत्नी सवा सेर

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पत्नी जीने कवि जी को 

फरियाद करते हुए कहा


"एक कवि हो कर कविगण से 

तुम कुछ सीखते क्यों नहीं?

मेरी प्रसंशा में प्यारी सी एक 

कविता लिखते क्यों नहीं ?"


कवि जीने उत्तर देते हुए कहा


"प्रसंशा तुम्हारी मैं क्या करूँ ? 

क्या तुम मेरे मनमीत नहीं ?

प्रसंशा के शब्द तो इतने हैं 

एक कविता तक सीमित नहीं 


तुम्हारे लिए कविता तो क्या 

पुरा महाकाव्य लिख सकता हूूँ  

पर उसका बजट कितना होगा ?

इस का विवरण लिख सकता हूँ


अनगिनत शब्द लिखने के लिए 

हजारों कलमें घिस जाएँगी 

उन कलमों को चलाने के लिए

स्याही भी कम पड़ जाएगी 


प्रसंशा के वो अनगिनत शब्द

कागज़ टुकड़ों में बट जाएँगे 

इतने सारे कागज के लिए 

कुछ और पेड़ कट जाएँगे 


टाइपिंग, रीडींग, एडिटिंग होगी

फिर प्रिटिंग और बाईंडिंग होगी

इस सारी प्रक्रिया को पूरा करने में 

कुछ और कागजों की बरबादी होगी


इन सबको साथ में जोड़कर 

जितना भी कुल खर्च आएगा 

अरे ऊतने खर्चे के अंदर तो

एक सुंदर आभूषण बन जाएगा


इतना कुछ सुन कर भी तुम 

चुप तो बिलकुल नहीं रहोगी 

बहानेबाजों का बेताज बादशाह 

मन हि मन जरूर ही कहोगी 


फिर पत्नी जी ने स्मार्ट जवाब दिया

कागज, कलम, स्याही, प्रिंटिंग का

तुम खुद ही खर्च बचा सकते हो 

काव्य संग्रह को तुम टाइप करके 

पी डी एफ मुझ को भेज सकते हो। 


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