कुण्डलिया : "आबादी की रेल"
कुण्डलिया : "आबादी की रेल"
छुक छुक करती जा रही, आबादी की रेल।
रोक सको तो रोक लो, होरी धक्कम पेल।
होरी धक्कम पेल, तेल या काढै सारा।
दुनिया कै म्हा देख, मोरचा दूजा म्हारा।
छुटज्या पाछै चीन, बीन जै बाजै धुक धुक।
कर देगी बरबाद, रेल की रोको छुक छुक।
