STORYMIRROR

Richa Joshi

Drama

3  

Richa Joshi

Drama

कुछ मन के

कुछ मन के

1 min
346

हर दिन खुलती है,

फिर बंधती है

रिश्तों की पोटली।


जिसमें भरे हैं,

ढेर सारे रिश्ते।

कुछ हंसने के,

कुछ गम के।


कुछ छल के,

कुछ मन के,

कुछ अनकहे,

कुछ अनसुने।


बहुत बड़ी सी

बहुत भरी सी 

रिश्तों की पोटली,

कुछ भोले से

बचपन के रिश्ते,


कुछ मित्रता के

सच्चे रिश्ते,

बहुत भारी सी

रिश्तों की पोटली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama