Rishto ki potali
Rishto ki potali
हर दिन खुलती है,
फिर बंधती है रिश्तों की पोटली।
जिसमे भरे हैं, ढेर सारे रिश्ते
कुछ हंसने के, कुछ गम के।
कुछ छल के, कुछ मन के,
कुछ अनकहे, कुछ अनसुने,
बहुत बड़ी सी बहुत भरी सी
रिश्तों की पोटली,
कुछ भोले से बचपन के रिश्ते,
कुछ मित्रता के सच्चे रिश्ते,
बहुत भारी सी रिश्तों की पोटली।