कुछ कहानियां
कुछ कहानियां
कुछ कहानियां खामोश हो गईं कुछ सपने मायूस हो गए
अरमानों से सजी थी जिंदगी जिनकी वे चेहरे ना जाने कहां खो गए।
मां ने हर चोट पे जिसकी,आंख से आंसू बहाया होगा,
जुग जुग जिए मेरा लाल बस यही मन में आया होगा,
आज लहूलुहान उस लाल को देख उसका दिल तो पथराया होगा।
कुछ कहानियां खामोश हो गईं कुछ सपने मायूस हो गए
अरमानों से सजी थी जिंदगी जिनकीवे चेहरे ना जाने कहां खो गए।
पिता ने कांधे पर अपने लाल को घुमाया होगा,
बेटे का भविष्य बूढ़े बाप की आंख में सिमट आया होगा,
फिर किस तरह उस बाप ने बेटे की निर्जीव देह को उठाया होगा।
कुछ कहानियां खामोश हो गईं कुछ सपने मायूस हो गए
अरमानों से सजी थी जिंदगी जिनकी वे चेहरे ना जाने कहां खो गए।
राखी भैयादूज हर बार बहन ने बल्लैयां ली होगी,
भाई करेगा मेरी रक्षा,ऐसी ही उम्मीदें की होंगी,
चढ़ेगा घोड़ी मेरा भैया ऐसा सपना देखा होगा,
तिरंगे में लिपटा शव देखकर,उसका दिल कितना रोया होगा।
कुछ कहानियां खामोश हो गईं कुछ सपने मायूस हो गए
अरमानों से सजी थी जिंदगी जिनकी वे चेहरे ना जाने कहां खो गए।
प्रेमकहानी पूरी होगी,स्वप्न दोनों ने सजाए होंगे,
टूटी चूड़ियां,बिखरा सिंदूर,देख उस निर्जीव को कितना लजाए होंगे।
शुरु ही हुई थी जो कहानी,बस अर्धविराम पर ही पूरी हो गई
ले कर्ज सबका सर पर भारी,वो जमीन से अलविदा हो गए।
कुछ खास ही थे वो चेहरे,जो देश की मिट्टी में ही खो गए,
कुछ खास ही थे वो चेहरे,जो देश के लिए कुर्बान हो गए।