कुछ इस तरह
कुछ इस तरह
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कुछ इस तरह सामने आकर
वो रुख पर पर्दा गिरा गए,
जैसे सारी दुनिया के सामने
आकर मेरा कत्ल छुपा गए।
कुछ इस तरह सामने आकर
वो रुख पर पर्दा गिरा गए,
अब किसकी राह देखे तन्हा
वो तन्हाई मैं भी आग लगा गए।
जैसे बिन जल तड़पे मछली,
वो सागर का पानी सूखा गए।
कुछ इस तरह सामने आकर
वो रुख पर पर्दा गिरा गए।
अब आँखों के कोरे पन्ने बचे हैं
वो कुछ स्याही ऐसी बिखरा गए,
जैसे लिखा हो आखिरी खत अश्कों से
वो जिस्म से रूह में समा गए।
कुछ इस तरह सामने आकर
वो रुख पर पर्दा गिरा गए।