कुछ छूट तो नही रहा !!!
कुछ छूट तो नही रहा !!!
घर छोड़ते वक़्त
बड़ी बारीकी से देखा
कुछ छूट तो नहीं रहा
कुछ भूल तो नहीं रहा
आश्वस्त था कि
सब ठीक है और
कुछ छूटा या भूला नहीं
शायद दिखाई नहीं देता
उसे अब सुनाई नहीं देता
हाँ
मगर कुछ चित्र यादों के
और आवाज़े आ रही हैं
जो छूट रहा था वो और
भूल भी रहा था अपने
बचपन से लेकर, शादी
उसके अपने बच्चे होने
तक की सारी स्मृतियाँ
दीवारों पर उभरी कुछ
कह रही थी साथ मे
उसे समझाने की
कोशिश भी कर रही थी
कि
हमें छोड़कर जा रहे हो
कोई बात नहीं
लेकिन, अंदर कमरे में
इन सभी स्मृतियों के
जन्मदाता बैठे हैं लाचार
माँ और पिता
उन्हें साथ ले जाओ
स्मृतियां और आवाज़े
उनके पीछे साये की
तरह आ ही जायेंगी
माना अब ये मकान
पुराना हो गया हैं
और इसे बदलना
ज़रूरी भी हो गया हैं
कहीं जीवन रूठ तो नहीं रहा
संभल पगले
कहीं कुछ छूट तो नहीं रहा
कहीं कुछ भूल तो नहीं रहा।
