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bhandari lokesh

Romance Tragedy

4.0  

bhandari lokesh

Romance Tragedy

कठपुतली ~02

कठपुतली ~02

1 min
201


वो कठपुतली थी जोकर की

मैं जोकर था, इक सर्कस का

अब कैसे बयां करूँ यारा

मैं तड़पा उसको पल पल था

वो दिन याद अभी हमको

जब मिली थी हमसे रूठ गई

जो सुनना चाहा था, अब तक

वो बात अधूरी छूट गई

क्या मंजर था, उस अंतिम दिन

जब सूनापन था, दिल ही दिल

मैं बोला कि मैं आऊंगा 

तुम बढ़ी चलो अपनी मंजिल

आँखों में थे आँसू उसके

और दर्द बहुत था रुख़सत का

वो दूर हुई तो पता चला

मैं तीर अधूरे तरकश का



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